तीसरी पीढ़ी कंप्यूटर का विकास 1960 के दशक में हुआ था, जब संगठनों ने अपनी तकनीक को बढ़ावा दिया था ताकि वे नए उत्पादों के लिए अधिक विश्वसनीय और अधिक ताकतवर कंप्यूटर बना सकें। तीसरी पीढ़ी कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर का प्रयोग कर उत्पादों को अधिक विश्वसनीय बनाया और इसे बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया गया था। तीसरी पीढ़ी कंप्यूटर में उपयोग की जाने वाली तकनीक ने आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान में एक नया संचार का उन्नत उदाहरण स्थापित किया है।
Third Generation of Computer in Hindi – तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर
तीसरी पीढ़ी कंप्यूटर उन कंप्यूटरों को कहा जाता है जो 1964 से 1971 तक बनाए गए थे। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर्स का उपयोग हुआ जो कि बिजली से चलते थे। इन कंप्यूटरों का आकार पहले पीढ़ियों से कम था और इन्हें अधिक समझने वाले लोग ही इन्हें चला पाते थे।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर नोट के पदार्थों का उपयोग करते थे। ये कंप्यूटर 1401, IBM 7094 और UNIVAC के नाम से जाने जाते हैं। इनमें से अधिकतर कंप्यूटर फोरट्रान नामक प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करते थे।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं
1. इंटेल और AMD प्रोसेसर्स
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में इंटेल और AMD के प्रोसेसर्स का उपयोग किया जाता था। ये प्रोसेसर्स पहले पीढ़ियों से तेज होते थे और इनमें डेटा को तेजी से ट्रान्सफर किया जा सकता था, इससे कंप्यूटरों का काम तेज होता गया था और लोग इन्हें अधिक आसानी से चला सकते थे।
2. मेमोरी का उपयोग
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में मेमोरी का भी उपयोग किया जाता था। ये कंप्यूटर 1 मेगाबाइट तक की मेमोरी का समर्थन करते थे। इससे कंप्यूटर में ज्यादा डेटा स्टोर किया जा सकता था जो इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाता था।
3. ऑपरेटिंग सिस्टम
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ऑपरेटिंग सिस्टम का भी उपयोग किया जाता था। ये सिस्टम लोगों को अधिक सुविधा देते थे और कंप्यूटर का प्रबंधन आसान होता था।
4. इनपुट/आउटपुट डिवाइस
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में इनपुट और आउटपुट डिवाइस का भी उपयोग किया जाता था। इनमें कुछ ऐसे डिवाइस शामिल थे जैसे की मौस, प्रिंटर और पंखे जो इन कंप्यूटरों के साथ कनेक्ट किए जाते थे।
5. नेटवर्किंग की सुविधा
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में नेटवर्किंग की सुविधा भी शामिल थी। इससे कंप्यूटरों के बीच डेटा और जानकारी को साझा किया जा सकता था जो उनके उपयोग्यों के काम में आता था। नेटवर्क के माध्यम से दूरस्थ कंप्यूटरों पर संचार भी संभव होता था।
6. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) भी होता था। इससे यूजर्स को कंप्यूटर का उपयोग करना आसान हो जाता था। गुणवत्ता के लिए, इन कंप्यूटरों में माउस, कीबोर्ड और मॉनिटर जैसी उपकरणों का उपयोग किया जाता था।
7. प्रोग्रामिंग भाषाएं
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में प्रोग्रामिंग करने के लिए अलग-अलग प्रोग्रामिंग भाषाएं उपलब्ध थीं। इनमें बेसिक, कोबोल, फोर्ट्रान और सी जैसी भाषाएं शामिल थीं।
8. उपयोग
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता था। इनका उपयोग सांख्यिकी, विज्ञान, रोचक गणित और अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता था।
9. संग्रहणीय
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर संग्रहणीय होते थे जो कि बहुत बड़े डाटा को बड़ी आसानी से संचालित कर सकते थे। इसके साथ ही, इन कंप्यूटरों में स्टोरेज की क्षमता भी बढ़ गई थी।
10. संवेदनशीलता
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर संवेदनशीलता के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण थे। इनमें बिजली की आपूर्ति में कमी होने पर भी स्वचालित रूप से बंद हो जाने वाली उपलब्धियों की भी क्षमता थी।
11. सुरक्षा
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में सुरक्षा बढ़ गई थी इनमें बायोमेट्रिक्स इथरनेट कार्ड का उपयोग किया जाता था।
12. नेटवर्क
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में नेटवर्क के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध थे। इनमें ईथरनेट, टोकन रिंग, और फाइबर ऑप्टिक केबल जैसे तकनीक शामिल थीं।
13. इंटरनेट
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में इंटरनेट का उपयोग भी होने लगा था। इससे लोगों के बीच संचार और जानकारी का आदान-प्रदान संभव हो गया था।
Advantages of Third Generation Computer in Hindi
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के कुछ लाभ हैं-
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत अधिक गति वाले होते हैं जो अधिक संचार दर के साथ भी काम करते हैं।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है जो अधिक मात्रा में डेटा को संग्रहित करने में सक्षम होती है।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में सुरक्षा स्तर बहुत अधिक होता है जो उन्हें साइबर हमलों से बचाता है।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर उच्च निष्कर्ष क्षमता वाले होते हैं जो जल्दी से जल्दी और सटीक निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रतिक्रिया क्षमता बहुत अधिक होती है जो उपयोगकर्ता को तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती है।
Disadvantages of Third Generation Computer in Hindi
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के कुछ नुकसान है-
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत महंगे होते हैं जो कम बजट वाले उपयोगकर्ताओं के लिए अनुकूल नहीं होते हैं।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की संशोधन लागत बहुत अधिक होती है जो उन्हें अपग्रेड करने के लिए भी महंगा बनाती है।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की ऊर्जा खपत भी अधिक होती है जो उन्हें अधिक शोषणीय बनाती है।
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती है जो कम जगह वाले कार्यालयों या घरों के लिए अनुचित होती है।
निष्कर्ष
इस अध्याय में हमने तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के विषय में बात की है हमने देखा कि तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की क्या विशेषताएं हैं और यह कैसे दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर से अलग है। इसके अलावा, हमने इस पीढ़ी के कुछ उदाहरण भी देखे जैसे IBM 360 और Honeywell 200.
इसके साथ ही, हमने यह भी देखा कि तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का उपयोग कैसे और कहां किया जाता है।
इस अध्याय में हमने तीसरी पीढ़ी कंप्यूटर की विशेषताओं, उपयोग और उदाहरणों के बारे में बात की है।
FAQs
थर्ड जनरेशन कंप्यूटर कब आया?
थर्ड जनरेशन कंप्यूटर 1964 में आया था। इसमें ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया था जो बहुत ही तेज़ था.
कंप्यूटर की 5 पीढ़ियां कौन कौन सी है?
कंप्यूटर की पाँच पीढ़ियां हैं:
पहली पीढ़ी (First Generation): वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करते हुए कंप्यूटर (1940-1956)
दूसरी पीढ़ी (Second Generation): ट्रांजिस्टर का उपयोग करते हुए कंप्यूटर (1956-1963)
तीसरी पीढ़ी (Third Generation): इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग करते हुए कंप्यूटर (1964-1971)
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation): VLSI टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए कंप्यूटर (1971-1980)
पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए कंप्यूटर (1980 से अब तक)
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का आविष्कारक कौन है?
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का आविष्कारक Jack St. Clair Kilby और Robert Noyce थे।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का उदाहरण क्या है?
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का एक उदाहरण है “IBM 360″। IBM 360 कंप्यूटर तीसरी पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटरों में से एक था जो 1964 में विकसित किया गया था।
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